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हाल कैसा है जनाब का ?

Written By मनवा on 13.4.12 | 6:30 pm


हम जब भी किसी से मिलते हैं | सबसे पहले पूछते हैं | क्या हालचाल है आपके ? इसके पीछे हमारी मंशा , सामने वाले की मनोदशा के बारे में जानने की होती है | अक्सर लोग ओपचारिकता  वश कह देते  हैं | हम ठीक है | लेकिन किसी भी व्यक्ति की  मनोदशा हमेशा इक़ जैसी नहीं होती | पल -पल मूड बदलता रहता है | पल -पल मूड बदलना | कभी ख़ुशी -कभी गम मनुष्य के सामान्य व्यवहार  के लक्षण है | लेकिन लगातार दुखी रहना | विषाद में घिरे रहना | या बिना कारण के हंसते रहना | ये असामान्य व्यवहार  के चिन्ह होते है | ये मनोदशा विकृति की श्रेणी में आता है | ये एक तरह  की मानसिक विकृति है | जिसमे व्यक्ति के भाव , संवेग एवं सम्बंधित मानसिक दशाओं में इतना उतार चढ़ाव होता है की व्यक्ति अपने दिन प्रतिदिन के जीवन में समायोजन का सामान्य स्तर बना कर नहीं रख पाता | नतीजा ये होता है की उसका  घर -परिवार , कार्य -क्षेत्र और सामाजिक जीवन तहस -नहस होने लगता है |
इन्डियन  अकेडमी आफ क्लिनिकल साईं -क्रेटी के एक नवीनतम अध्ययन जिसे २००० में प्रकाशित किया गया | के अनुसार भारत की  सामान्य जनसँख्या का करीब ५ प्रतिशत या लगभग पाँच करोड़ भारतीयों में मनोदशा विकृति का रोग पाया जाता है | ये समाचार हिंदुस्तान टाइम्स  के १० अक्तूबर २००० के अंक में प्रकाशित हुआ |
भारत ही नहीं विदेशों में भी मानसिक विकृति के बढ़ते ग्राफ को देख , अमेरिकन मनश्चिकित्सक संघ ने वर्गीकरण तंत्र का प्रकाशन किया | जिसका नाम " डायग्नोस्टिक एंड स्टेस्टिस्तिक  मैनुअल  आफ मेंटल डिसऑर्डर " रखा गया | इस वर्गीकरण तंत्र के अनुसार व्यक्ति में तीन तरह  की मनोविकृति पाई जाती है | इक़ धुव्रीय  विकृति यानि unipolar disorder इस विकृति में व्यक्ति उदासी और विषाद से घिरा रहता है | उसे भूख , नींद और वजन में कमी की शिकायत होती है | दूसरी विकृति है द्वि धुव्रीय यानि bipolar disorder इस विकृति में व्यक्ति उन्माद एवं विषाद दोनों अवस्थाओं में इक़ साथ रहता है | वो कभी हँसता है कभी रोता है | और तीसरी विकृति का नाम है मनोदशा विकृति यानि mood disorder इस विकृति में दैहिक एवं मानसिक विकृतियों को रखा गया है | इक़ उदाहरण देखीये | ओल्त्मानस तथा इमेरी १९९५ द्वारा  उद्धत किया गया है | " काथी नामक ३१ वर्षीय  विवाहित महिला थी | जो कामकाजी एवं मेहनती महिला भी थी | जिस फर्म  में वो काम करती थी | उसे वहां एक  तेज तर्रार  महिला समझा जाता था | उसके काम को देख कर उसे पदोंन्नति  दे दी गयी | लेकिन वो अपनी इस पदोंन्नती से ज़रा भी खुश नहीं थी | वो खुद को इस काबिल समझती ही नहीं थी | कई महीने वो निराश रही | थकी -थकी सी , चिडचिडी सी और गुमसुम भी | आफिस के सहयोगियों ने उसके इस व्यवहार पर चिंता जताई तो उसने उनसे भी दूरी बनानी शुरू कर दी | हार कर वो सभी भी उस महिला से दूर होते गए | उसकी निराशा का स्तर इतना बढ़  गया की उसे अब काम भी बोझ लगने लगा | वो खुद को योग्य समझने लगी और बीमार हूँ ऐसा कह कर घर पर बैठ गयी | यानी नौकरी छोड़ दी | उससे मिलने आने वाले दोस्तों ने भी उसमे अब रूचि लेना छोड़ दिया था | वो महिला सारा दिन टी.वी . देखती लेकिन उसे कोई रूचि नहीं थी की वो क्या देख रही है | कभी कभी उसके मन में आत्महत्या के विचार भी आते थे | लेकिन वो मरने से डरती भी थी | उसे अब अपना जीवन ही बोझ लगने लगा था | केस उदाहरण के गहन अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है की काथी  नामक महिला  मेजर डिपप्रेसिव डिसआर्डर  से जूझ रही थी | 
इसी तरह का इक़ उदाहरण पिछले दिनों दिल्ली के नोएडा  शहर में देखने को मिला था | जहाँ दो बहनों ने खुद को इक़ कमरे में बंद कर लिया था |  दोनों  अपने पिता की मौत से दुखी थी | और भाइयों की बेरुखी से आह़त थी | दोनों  ने अपनी नौकरी  भी छोड़ दी और लोगो से मिलना जुलना भी छोड़ दिया था | अकेलापन , समाज से दूरी और निराशा- अवसाद से दोनों बुरी तरह घिरी थी | उनके घर कोई भी आता जाता नहीं था |  इक़ दिन  पड़ोसियों ने जाकर देखा तो इक़ बहन की मौत हो चुकी थी और दूसरी मरने की स्थिति में  थी | हमारे आसपास ऐसे हजारों उदाहरण मिल जायेगे | 
इन तमाम विकृतियों के उपचार मनोविज्ञान में ही मिलते है | इन मनोविकृतियों  का उपचार मनोविज्ञान द्वारा ही संभव है | जिनमे योग थेरपी ,संज्ञानात्मक चिकित्सा , व्यवहार चिकित्सा , अंतर्वैयक्तिक चिकित्सा द्वारा ही संभव है | अक्सर हम अपने  परिवार में , आसपड़ोस में या कार्य - क्षेत्र में ऐसे व्यक्तियों से रूबरू होते है | 
जिनका  व्यवहार आसामान्य दिखता है | उदाहरण के लिए परिवार की  कोई महिला या पुरुष लगातार तनाव में दिखे कभी हँसे कभी गहरी उदासी में डूब जाए | खुद को समाज से अलग थलग कर बैठे | निराशा की बाते करे , नशा करे ऐसी हालत में उसे किसी मनोचिकित्सक के पास  लेजाना  जरुरी हो जाता है | उसके पास प्यार से जाकर उसकी  मनोदशा समझनी चाहिए | उसका हाल पूछना  चाहिए | हमारा प्रेम पूर्ण व्यवहार किसी के जीवन में रोशनी ला सकता है | उसे नया जीवन दे सकता है | तो चलिए ना आज पूछते है किसी से  हाल कैसा है जनाब का ? --ममता व्यास भोपाल 

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