यह संसार हमारे ही विचारों की रचना है। हमारे देख सुख , सफलता असफलता आदि, वह भी हमारे विचारों की ही रचना है। कहने सुनने में यह अटपटा लगता है । हमने तो कभी असफलता, दु:ख , निराशा की कामना नहीं की।
प्रो0 कमल दीक्षित
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